
मैं राजेश व्यास वास्तुविदआपको वास्तु के बारे में जानकारी दे रहा हु आप सभी के लिये बहुत उपयोगी रहेगी।वास्तु के आसान उपयोगी टिप्स मेरी पुस्तक खुशियों का वास्तु से भी आप प्राप्त कर सकते है।
दिशाओ का महत्व
वास्तु के अनुसार दिशाओं का प्रभाव हमारे जीवन पर बहुत पड़ता है इसलिए भवन निर्माण में दिशा ज्ञान आवश्यक है इसके बाद कोणों का महत्व उससे कहीं अधिक होता हैं क्योंकि कोण दो दिशाओं की संधि से बने होते है इसलिए लाभ हानि का परिणाम भी दोहरा ही प्राप्त होता है इसलिये भूखण्ड या भवन का कोई कोण कटा फटा अथवा बढा है तो इस सम्बंध में शुभ अशुभ एवं लाभ हानि के विवरण पर भी विचार किया जाना है आवश्यक है ।
- पूर्व – किसी भी भवन का निर्माण कराते समय पूर्व में खाली स्थान या खुला स्थान छोड़ना सही रहता है।
- पश्चिम – पश्चिम दिशा यश सफ़लता ओर भव्यता प्रदान करती है
- उत्तर – यह पैतृक स्थान उत्तर में भी खाली स्थान रखना सही होता है।
- दक्षिण – इस दिशा में भारी निर्माण कार्य कराना सही रहता है इसे खुला नही रखे ।
- ईशान – इस कोण में ध्यान रहे किसी प्रकार का दोष कटाव नही होना चाहिए।
- आग्नेय – यह कोण हमारे स्वास्थ्य को सीधा प्रभावित करता है इसलिये इस कोण के दोषों को भी दूर करना आवश्यक है।
- नैऋत्य – इस कोण में किसी प्रकार का गम्भीर दोष रखना बेहद खतरनाक हो सकता है तथा अकाल मृत्यु को आमंत्रण देना है।
- वायव्य – यह कोण हमारे सम्बन्धो को प्रभावित करता है दोस्ती से दुश्मनी तक सम्बध इसी कोंण से नियंत्रित होते है ।
राजेश व्यास – (वास्तुविद)
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