वास्तु शास्त्र के अनुसार दिशाएं – राजेश व्यास

मैं राजेश व्यास वास्तुविदआपको वास्तु के बारे में जानकारी शुरू कर रहा हु आप सभी के लिये बहुत उपयोगी रहेगी। वास्तु के आसान उपयोगी टिप्स मेरी पुस्तक खुशियों का वास्तु से भी आप प्राप्त कर सकते है

दिशा ज्ञान

वास्तु के अनुसार कुल 10 दस दिशाओं का ज्ञान होना आवश्यक है ये कुल दस दिशायें इस प्रकार है :-

  1. पूर्व
  2. पश्चिम
  3. उत्तर
  4. दक्षिण
  5. ईशान
  6. आग्नेय
  7. नैऋत्य
  8. वायव्य
  9. उर्ध्व (आकाश)
  10. पृथ्वी (अधो दिशा)

जहां दो दिशाओं का मिलन होता है वह कोण कहलाता है

  1. ईशान :- उत्तर-पूर्व के मध्य
  2. आग्नेय :-दक्षिण-पूर्व के मध्य
  3. वायव्य :-उतर-पश्चिम के मध्य
  4. नैऋत्य :-दक्षिण-पश्चिम के मध्य

भवन निर्माण के लिये या सुधार के लिये सबसे पहले दिशा ज्ञान होना आवश्यक है दिशा का ज्ञान हम दिशासूचक यन्त्र के माध्यम से आसानी से कर सकते है। एक ओर भी तरीका है

  • प्रातःकाल सूर्य जिस दिशा में उदय होता है वहपूर्व दिशा होती है।
  • सायंकाल सूर्य के अस्त होने की दिशा पशिचम कहलाती है ।
  • प्रातःकाल सूर्य के सम्मुख खड़े होने पर सामने पूर्व दाये हाथ की ओर दक्षिण था बाई ओर उत्तर एवं पीठ भाग पश्चिम दिशा होती है।

राजेश व्यास
(वास्तुविद)

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